वर्तमान समय में कोविड महामारी से सभी तरफ भय का माहौल है I जान बचाने के लिए सभी लोग यथासंभव प्रयासों में जुटे हुए हैं | सरकारें भी अपनी भरसक कोशिश में हैं कि ज्यादा से ज्यादा लोग सुरक्षित रहें और रोग होने पर शीघ्र ही पुनः स्वस्थ हो | समाज सेवी संस्थाएं भी अपने अपने प्रयासों और परिश्रम से इस महामारी को दूर भगाने के लिए कार्यरत है |
आज जब एक बड़ी संख्या में लोग स्वस्थ होकर पुनः सामान्य होने के लिए अग्रसर है तो कुछ नई बीमारियाँ जैसे “ब्लैक फंगस” की चर्चा प्रारम्भ हो गयी है, फलस्वरूप एक नया तनाव समाज में फ़ैल रहा है | साथ ही अखबारों व विभिन्न प्रसारण माध्यमों में कोरोना की तीसरी लहर की संभावनाओ को मुख्य रूप से प्रसारित किये जाने से जनमानस अपने आप में एक गंभीर उलझन की तरफ बढ़ता दिख रहा है |
आज जब सभी के पुरजोर प्रयासों और परिश्रम के परिणाम स्वरूप समाज में सकारात्मक भाव बढने लगा है, तो कहीं ऐसा तो नहीं कि समाज के कुछ स्वार्थी तत्व जो इस माहौल से लाभ की स्थिति में हैं, वे अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए नकारात्मक माहौल पुनः खड़ा के लिए सभी सम्भव प्रयास कर रहे हों?
कहीं इस तरह के प्रायोजित प्रयासों से अपनी ताकत, सकारात्मक उर्जा हम को खो न दें ?
भारत इस महामारी की पहली लहर से बिना किसी बड़े नुकसान के बाहर निकला | वैज्ञानिकों के अथक प्रयास और परिश्रम से कोरोना महामारी के टीके ( वैक्सीन ) का हमने अत्यल्प समय में विकास किया | सम्पूर्ण विश्व नए भारत की सफलताओं से विस्मित स्थिति में आ गया था | साथ ही भारत की सफलताओं से परेशान भारत विरोधी देश इस अवसर पर बेचैन हो रहे थे |
आज जब भारत लगभग एक हजार वर्ष बाद पुनः विश्व को नेतृत्व करने की ओर बढ़ रहा है | विश्व योग दिवस इसका एक अनुपम उदहारण है l भारत की आत्मा आध्यात्मिकता को विश्व एकमात्र अस्तित्व का मार्ग मानने को तैयार होता दिख रहा है | भारत का स्वस्थ जीवन का दृष्टिकोण ‘आयुर्वेद’ को पूरा विश्व आज आशा भरी नज़रों से देख रहा है l ऐसा प्रतीत हो रहा है कि पूरे विश्व में आयुर्वेद के प्रति विश्वास बढ़ा है |
हम क्या करें? क्या समझें? इस विषय पर अगले लेख में …